कंप्यूटर
क्या है?
कंप्यूटर एक स्मार्ट मशीन
है जो गणना कर सकती है, जानकारी
स्टोर कर सकती है, और हमारे लिए कई काम कर सकती है। इसे ऐसे
समझो, जैसे कि आपके पास एक जादू की डायरी हो जो आपसे बात कर
सकती है और आपके सारे सवालों का जवाब दे सकती है।"कंप्यूटर"
शब्द अंग्रेजी भाषा से लिया गया है,
यदि हम कंप्यूटर के
कार्यों और उद्देश्य को देखते हुए इसका हिंदी अनुवाद या समानार्थी शब्द ढूंढें, तो हम कह सकते हैं कि
"संगणक" एक उचित शब्द है। "संगणक" का अर्थ है "गणना करने
वाला उपकरण", जो कि कंप्यूटर का प्रमुख कार्य है।
हालांकि, सामान्य बोलचाल में "कंप्यूटर" शब्द ही
अधिक प्रचलित और स्वीकार्य है।
कंप्यूटर के जनक कौन थे?
चार्ल्स बैबेज (1791-1871) एक ब्रिटिश गणितज्ञ, आविष्कारक
और यांत्रिक इंजीनियर थे। उन्हें "कंप्यूटर के जनक" कहा जाता है क्योंकि
उन्होंने 19वीं सदी में विचार दिया था जो बाद में कंप्यूटरों
के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हुआ। उनका विचार था कि एक यांत्रिक इंजन
बनाया जाए जो स्वचालित रूप से गणनाओं को कर सके, जो बाद में
कंप्यूटरों के मूल सिद्धांतों का निर्माण किया। इसीलिए वे आजकल के मॉडर्न
कंप्यूटरों के जनक माने जाते हैं।
उनके योगदान का
महत्व:
- उनकी सोच और
आविष्कारों ने यह दिखाया कि मशीनें जटिल गणनाएँ और अन्य कार्य कर सकती हैं।
- उनके द्वारा
दिया गया आधार आज के कंप्यूटरों के विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ।
कंप्यूटर की कितनी पीढ़िया है?
1.
पहली पीढ़ी (First Generation):
o
अवधि: 1940s-1950s
o
प्रमुख विशेषताएँ: पहली पीढ़ी कंप्यूटर्स वैक्यूम ट्यूब्स का
उपयोग करते थे। ये कंप्यूटर्स बड़े, भारी, और उच्च विद्युत
खपत वाले थे।
o
उदाहरण: ENIAC,
UNIVAC
2.
दूसरी पीढ़ी (Second Generation):
o
अवधि: 1950s-1960s
o
प्रमुख विशेषताएँ: दूसरी पीढ़ी कंप्यूटर्स ट्रांजिस्टर्स का
उपयोग करते थे, जो
वैक्यूम ट्यूब्स की तुलना में सस्ते, छोटे, और अधिक विशेषता वाले थे।
o
उदाहरण: IBM
1401, IBM 7000 series
3.
तीसरी पीढ़ी (Third Generation):
o
अवधि: 1960s-1970s
o
प्रमुख विशेषताएँ: तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर्स इंटीग्रेटेड
सर्किट्स (ICs) का
उपयोग करते थे, जो बहुत से ट्रांजिस्टर्स को एक ही छोटे
सिलिकॉन चिप पर सम्मिलित करते थे।
o
उदाहरण: IBM
360, DEC PDP-11
4.
चौथी पीढ़ी (Fourth Generation):
o
अवधि: 1970s-1990s
o
प्रमुख विशेषताएँ: चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर्स विभिन्न उच्च
स्तरीय भाषाओं का उपयोग करते थे जैसे कि C, C++, और जावा। इनमें माइक्रोप्रोसेसर्स का
उपयोग किया गया था।
o
उदाहरण: IBM
PC, Apple Macintosh
5.
पांचवीं पीढ़ी (Fifth Generation):
o
अवधि: 1990s-वर्तमान
o
प्रमुख विशेषताएँ: पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर्स परिशुद्ध
कंप्यूटेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर केंद्रित हैं।
o
उदाहरण: सुपरकंप्यूटर, पर्ल, एल्गोल, और ओरेकल
1. गति और दक्षता (Speed and Efficiency)
- तेजी से काम (Fast Processing):
- कंप्यूटर बहुत
तेजी से गणना कर सकते हैं और बड़ी मात्रा में डेटा को प्रोसेस कर सकते हैं।
- उदाहरण: बड़े
संख्याओं की गणना सेकंडों में कर सकते हैं।
2. भंडारण क्षमता (Storage Capacity)
- बड़ी मात्रा में
डेटा स्टोर करना (Large Data Storage):
- कंप्यूटर में
बड़ी मात्रा में डेटा स्टोर किया जा सकता है, जो कागजी
दस्तावेज़ों से कहीं अधिक सुरक्षित और सुलभ होता है।
- उदाहरण: हजारों
किताबें,
फोटो, और वीडियो एक छोटे हार्ड ड्राइव
में स्टोर हो सकते हैं।
3. शिक्षा और अनुसंधान (Education and Research)
- शैक्षिक उपकरण (Educational
Tools):
- कंप्यूटर शैक्षिक
उपकरण के रूप में काम करते हैं। इंटरनेट के माध्यम से छात्र विभिन्न विषयों
की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- उदाहरण: ऑनलाइन
कोर्स,
ई-बुक्स, और शैक्षिक वीडियो।
4. संचार (Communication)
- आसान संपर्क (Easy
Communication):
- कंप्यूटर के
माध्यम से हम ईमेल,
चैट, और वीडियो कॉल के जरिए दुनिया भर
में किसी से भी संपर्क कर सकते हैं।
- उदाहरण: ज़ूम (Zoom), गूगल मीट (Google Meet) जैसी सेवाएं।
5. मनोरंजन (Entertainment)
- विविध मनोरंजन
विकल्प (Various Entertainment Options):
- कंप्यूटर पर गेम
खेल सकते हैं,
फिल्में देख सकते हैं, संगीत सुन सकते
हैं और सोशल मीडिया का उपयोग कर सकते हैं।
- उदाहरण:
नेटफ्लिक्स (Netflix)
पर फिल्में देखना, यूट्यूब (YouTube)
पर वीडियो देखना।
कंप्यूटर के नुकसान क्या है?
1. स्वास्थ्य समस्याएं (Health Issues)
- आंखों पर असर (Eye Strain):
- लंबे समय तक
कंप्यूटर स्क्रीन पर देखने से आंखों में तनाव हो सकता है।
- उपाय: स्क्रीन
ब्रेक लेना,
सही रोशनी में काम करना।
2. व्यक्तिगत जानकारी का खतरा (Privacy Concerns)
- डेटा चोरी (Data Theft):
- कंप्यूटर हैकिंग
और वायरस के कारण व्यक्तिगत जानकारी चुराई जा सकती है।
- उपाय: एंटीवायरस
सॉफ़्टवेयर का उपयोग करना, मजबूत पासवर्ड रखना।
3. सामाजिक अलगाव (Social Isolation)
·
सामाजिक गतिविधियों में कमी (Lack of Social Interaction):
o
बहुत ज्यादा कंप्यूटर पर समय बिताने से सामाजिक गतिविधियों में कमी आ सकती
है।
o
उपाय: समय-समय पर दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना।
4. निर्भरता (Dependency)
- अत्यधिक निर्भरता
(Over-reliance):
- कंप्यूटर पर
अत्यधिक निर्भरता से सोचने-समझने की क्षमता कम हो सकती है।
- उपाय: मैन्युअल
तरीके से भी काम करना, मस्तिष्क को सक्रिय रखना।
5. साइबरबुलिंग (Cyberbullying)
- ऑनलाइन उत्पीड़न (Online
Harassment):
- सोशल मीडिया और
अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर साइबरबुलिंग का खतरा हो सकता है
कंप्यूटर की संरचना क्या है?
कंप्यूटर की संरचना
को समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि
यह हमें यह जानने में मदद करता है कि कंप्यूटर कैसे काम करता है और उसके विभिन्न
हिस्से क्या हैं। चलिए, सरल भाषा में कंप्यूटर की संरचना के
बारे में समझते हैं:
सेंट्रल
प्रोसेसिंग यूनिट (CPU)
सीपीयू को कंप्यूटर
का "मस्तिष्क" कहा जाता है। यह वह हिस्सा है जो सभी निर्देशों को
प्रोसेस करता है और कार्यों को पूरा करता है। सीपीयू के मुख्य भाग:
- अरीथमेटिक लॉजिक
यूनिट (ALU): यह वह हिस्सा है जो सभी गणितीय (जैसे जोड़, घटाव) और तार्किक (जैसे तुलना करना) काम करता है।
- कंट्रोल यूनिट (CU): यह हिस्सा निर्देशों को पढ़ता है और तय करता है कि कौन सा कार्य कब
और कैसे किया जाएगा।
- रजिस्टर्स: ये छोटे मेमोरी क्षेत्र होते हैं जो तुरंत आवश्यक डेटा और निर्देशों
को स्टोर करते हैं।
स्टोरेज डिवाइस (Storage Devices)
स्टोरेज डिवाइस (Storage Devices) वे उपकरण हैं जो डेटा और जानकारी को स्टोर (संग्रहित) और रिट्रीव
(प्राप्त) करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। स्टोरेज डिवाइस का उपयोग कंप्यूटर,
मोबाइल फोन, टैबलेट, और
अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में होता है। इन्हें दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित
किया जा सकता है: प्राइमरी स्टोरेज और सेकेंडरी स्टोरेज।
इनपुट
डिवाइस (Input
Devices)
इनपुट डिवाइस वे होते हैं जिनके माध्यम
से हम डेटा और निर्देश कंप्यूटर में दर्ज करते हैं। प्रमुख इनपुट डिवाइस हैं:
- कीबोर्ड: यह एक प्रमुख इनपुट डिवाइस है जिसमें बटन होते हैं जिनसे हम टेक्स्ट
और कमांड दर्ज करते हैं।
- माउस: यह एक पॉइंटिंग डिवाइस है जिससे हम स्क्रीन पर कर्सर को नियंत्रित
करते हैं।
- स्कैनर और माइक्रोफोन: ये विशेष उपकरण हैं जो छवियों और आवाज को कंप्यूटर में
दर्ज करने के लिए उपयोग होते हैं।
आउटपुट डिवाइस (Output
Devices)
आउटपुट डिवाइस वे होते हैं जिनके माध्यम
से कंप्यूटर हमें प्रोसेस किए हुए डेटा का परिणाम दिखाता है। प्रमुख आउटपुट डिवाइस
हैं:
- मॉनिटर: यह स्क्रीन होती है जहां हम कंप्यूटर का आउटपुट देखते हैं।
- प्रिंटर: यह उपकरण है जो कंप्यूटर के डेटा को कागज पर छापता है।
- स्पीकर: ये उपकरण हैं जो ध्वनि को आउटपुट करते हैं।
मदरबोर्ड (Motherboard)
·
मदरबोर्ड कंप्यूटर का मुख्य सर्किट बोर्ड है जिसमें सीपीयू,
मेमोरी, स्टोरेज डिवाइस, और अन्य सभी घटक जुड़े होते हैं। इसे कंप्यूटर का 'रीढ़'
कहा जा सकता है।
पावर सप्लाई यूनिट (PSU)
·
पीएसयू वह हिस्सा है जो कंप्यूटर के सभी घटकों को बिजली
प्रदान करता है। यह एसी (AC)
करंट को डीसी (DC) करंट में बदलता है जिससे
कंप्यूटर के घटक काम कर सकें।
·
इन सभी घटकों का सही तालमेल कंप्यूटर को कार्य करने में सक्षम
बनाता है। इन घटकों को समझना कंप्यूटर के कार्य करने के तरीके को बेहतर तरीके से
समझने में मदद करता है।
कंप्यूटर
भाषा क्या है?
कंप्यूटर भाषा एक तरीका है जिससे हम
कंप्यूटर को बताते हैं कि हमें उससे क्या काम कराना है। यह कुछ ऐसा ही है
जैसे हम आपस में बातचीत करते हैं, लेकिन कंप्यूटर को हम
कुछ खास "शब्दों" और "नियमों" का इस्तेमाल करके बातें समझाते
हैं।
Computer language मुख्य
रूप से दो प्रकार की होती हैं जो कि निम्नलिखित है।
1.
High Level Language
2.
Low Level Language
Low Level Language –
·
Low Level Language एक ऐसी भाषा होती है जिसे हम इंसान नही समझ सकते इसे केवल कंप्यूटर के
द्वारा ही समझा जा सकता है। Computer इस language को बड़ी ही आसानी से समझ सकते है। ये language high level language
के बिलकुल विपरीत है
1.
Machine Language
2.
Assembly Language
Machine language वह भाषा
होती है जिसमें केवल binary (0 और 1) अंको
का ही प्रयोग होता है।
दूसरे शब्दों में कहें तो, “जिस भाषा को computer बिना किसी technology के समझ लेता है। उसे हम machine language कहते है।”
computer केवल Binary (0 और1) को ही समझ पाता है
Assembly language एक low-level
प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है. इसको मशीन लैंग्वेज में बदलने के लिए एक
सॉफ्टवेर की आवश्यकता होती है जिसे assembler कहते है.
असेंबली लैंग्वेज का प्रयोग
माइक्रोप्रोसेसर पर आधारित डिवाइस में, और real
time systems में किया जाता है.
High
Level Language
हाई लेवल लैंग्वेज क्या है?
High Level Language एक ऐसी भाषा है , जिसकी
मदद से कंप्यूटर प्रोग्राम को आसानी से समझा और लिखा जा सकता है। High
level language अंग्रेजी की तरह होती है इसलिए इस भाषा को इंसान
आसानी से समझ सकते हैं। हाई लेवल लैंग्वेज का इस्तेमाल user-friendly सॉफ्टवेयर और वेबसाइट बनाने में किया जाता है
High-level
language के उदाहरण हैं – Python,
Java, JavaScript,
PHP, C#, C++, Cobol,
1:- Object-Oriented Programming Language –
इस language में दुनिया की समस्याओ को observe
किया जाता है। उसके बाद इन समस्याओ को solve किया
जाता है। example के लिए C++ , Java.
2:- Visual Programming
Language – इस language
का इस्तेमाल window application को बनाने के
लिए और design करने के लिए किया जाता है। example के लिए Visual Basic, Visual Java, Visual C.
इनपुट आउटपुट
इनपुट क्या है?
इनपुट का मतलब है वो जानकारी या डेटा जो हम कंप्यूटर को देते
हैं ताकि वह उसे समझे और प्रोसेस करे। इसे ऐसे समझिए जैसे हम
किसी इंसान को कोई निर्देश देते हैं कि वह क्या करे।
इनपुट कैसे दिया जाता है?
इनपुट
देने के लिए हम अलग-अलग उपकरणों (डिवाइस) का उपयोग करते हैं जिन्हें इनपुट डिवाइस
कहते हैं। आइए कुछ आम इनपुट डिवाइस और उनके कार्यों को देखें:
इनपुट डिवाइस
1.
कीबोर्ड (Keyboard):
o
कार्य: टेक्स्ट टाइप
करना। जैसे,
आप कीबोर्ड पर अक्षर दबाकर शब्द और वाक्य बना सकते हैं।
o
उदाहरण: जब आप
कंप्यूटर पर "नमस्ते" लिखते हैं, तो आप कीबोर्ड से इनपुट दे रहे
हैं।
2.
माउस (Mouse):
o
कार्य: स्क्रीन पर
पॉइंटर को चलाना और क्लिक करना।
o
उदाहरण: जब आप माउस का
उपयोग करके किसी फाइल को खोलते हैं, तो आप माउस से इनपुट दे रहे
हैं।
3.
माइक्रोफोन (Microphone):
o
कार्य: आवाज को कंप्यूटर
में रिकॉर्ड करना या वॉयस कमांड देना।
o
उदाहरण: जब आप
माइक्रोफोन में बोलते हैं और आपकी आवाज रिकॉर्ड होती है, तो यह
इनपुट होता है।
4.
स्कैनर (Scanner):
o
कार्य: कागज पर लिखी
या छपी चीजों को कंप्यूटर में डालना।
o
उदाहरण: जब आप एक
तस्वीर को स्कैन करके कंप्यूटर में सेव करते हैं, तो यह स्कैनर से इनपुट
होता है।
5.
टचस्क्रीन (Touchscreen):
o
कार्य: स्क्रीन पर टच
करके चीजों को सेलेक्ट या मूव करना।
o
उदाहरण: जब आप
स्मार्टफोन की स्क्रीन पर ऐप खोलते हैं, तो आप टचस्क्रीन से इनपुट दे
रहे हैं।
इनपुट का महत्व:
इनपुट
के बिना कंप्यूटर को यह नहीं पता चलेगा कि उसे क्या करना है। इनपुट डिवाइस की मदद
से हम कंप्यूटर को निर्देश देते हैं कि वह क्या काम करे।
इस
तरह, इनपुट वो तरीका है जिससे हम कंप्यूटर को जानकारी और निर्देश देते हैं ताकि
वह हमारे काम को सही तरीके से कर सके।
आउटपुट क्या है?
आउटपुट
(Output) का मतलब है किसी भी प्रक्रिया या सिस्टम से प्राप्त होने वाला अंतिम
परिणाम या नतीजा। इसे हम अलग-अलग उदाहरणों और संदर्भों से समझ सकते हैं
उदाहरण
इनपुट: दो
संख्याएँ, जैसे 2 और 3।
प्रोसेस: कंप्यूटर इन दोनों संख्याओं को जोड़ता है।
आउटपुट: जोड़ने के बाद जो परिणाम मिलता है, जैसे 5।
कंप्यूटर
में आउटपुट देने वाले विभिन्न घटक और डिवाइस होते हैं। यहां पर हम उन प्रमुख घटकों
और उनके उदाहरणों को समझेंगे:
आउटपुट डिवाइस
1. मॉनिटर (Monitor)
मॉनिटर
सबसे सामान्य आउटपुट डिवाइस है, जो विज़ुअल आउटपुट देता है।
- उदाहरण:
- जब तुम
वर्ड डॉक्यूमेंट टाइप करते हो, तो मॉनिटर पर लिखा हुआ
टेक्स्ट दिखता है।
- जब तुम
यूट्यूब वीडियो देखते हो, तो वीडियो मॉनिटर पर प्ले होता है।
प्रिंटर
हार्डकॉपी के रूप में आउटपुट देता है।
- उदाहरण:
- कंप्यूटर
पर बनाया गया प्रोजेक्ट रिपोर्ट प्रिंटर से प्रिंट करके पेपर पर निकाला जा
सकता है।
- किसी
इमेज को प्रिंट करके पोस्टर के रूप में प्राप्त किया जा सकता है।
3. स्पीकर (Speaker)
स्पीकर
ऑडियो आउटपुट देते हैं।
- उदाहरण:
- कंप्यूटर
पर गाना प्ले करने पर आवाज़ स्पीकर से सुनाई देती है।
- कोई
नोटिफिकेशन आने पर स्पीकर से बीप की आवाज़ आती है।
4. प्रोजेक्टर (Projector)
प्रोजेक्टर
विज़ुअल आउटपुट को बड़ी स्क्रीन या दीवार पर प्रोजेक्ट करता है।
- उदाहरण:
मेमोरी (Memory)
मेमोरी क्या है?
मेमोरी वह जगह है जहां
कंप्यूटर डेटा और निर्देशों को अस्थायी या स्थायी रूप से स्टोर करता है। मुख्य
प्रकार की मेमोरी हैं:
प्राइमरी
मेमोरी
क्या है?
प्राइमरी
मेमोरी (Primary
Memory) कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी होती है, जिसका
उपयोग डेटा और निर्देशों को अस्थायी रूप से संग्रहित करने के लिए किया जाता है।
इसे मुख्य मेमोरी या RAM (Random Access Memory) के नाम से
भी जाना जाता है। यह कंप्यूटर के प्रोसेसर के साथ सीधे संपर्क में रहती है और बहुत
तेजी से डेटा को पढ़ने और लिखने की सुविधा प्रदान करती है।
प्राइमरी मेमोरी के मुख्य
पहलू:
1.
तेज गति (High Speed):
o
प्राइमरी मेमोरी बहुत तेजी से डेटा को पढ़ने और
लिखने की सुविधा प्रदान करती है, जिससे प्रोसेसर के प्रदर्शन में सुधार होता
है।
2.
अस्थायी संग्रहण (Temporary Storage):
o
प्राइमरी मेमोरी अस्थायी रूप से डेटा और
निर्देशों को संग्रहित करती है। जब कंप्यूटर बंद होता है, तो
इसमें संग्रहित डेटा डिलीट हो जाता है।
3.
सीधी पहुँच (Direct Access):
o
प्रोसेसर सीधे प्राइमरी मेमोरी से डेटा को पढ़
सकता है और उसमें लिख सकता है, जिससे प्रोसेसिंग तेजी से होती है।
1.
RAM (Random Access Memory):
o
यह वोलाटाइल (volatile) मेमोरी होती है,
जिसका मतलब है कि कंप्यूटर बंद होने पर इसका डेटा डिलीट हो जाता है।
o
इसका उपयोग प्रोसेसर द्वारा वर्तमान में उपयोग
किए जा रहे डेटा और निर्देशों को अस्थायी रूप से संग्रहित करने के लिए किया जाता
है।
2.
ROM (Read Only Memory):
o
यह नॉन-वोलाटाइल (non-volatile) मेमोरी होती है, जिसमें संग्रहीत डेटा कंप्यूटर बंद
होने पर भी सुरक्षित रहता है।
o
इसमें फर्मवेयर और स्थायी निर्देश संग्रहीत होते
हैं, जिन्हें कंप्यूटर के ऑन होने के समय उपयोग किया जाता है।
- जब आप कोई
प्रोग्राम चलाते हैं,
तो उस प्रोग्राम का डेटा और निर्देश RAM में
लोड होते हैं ताकि प्रोसेसर तेजी से उन पर काम कर सके।
- कंप्यूटर
के ऑन होने के समय,
ROM से आवश्यक निर्देश प्रोसेसर द्वारा पढ़े जाते हैं ताकि
सिस्टम सही तरीके से शुरू हो सके।
सेकेंडरी मेमोरी क्या है?
सेकेंडरी
मेमोरी (Secondary
Memory) कंप्यूटर की वह मेमोरी होती है, जो
डेटा और जानकारी को स्थायी रूप से संग्रहित करती है। इसे एक्सटर्नल मेमोरी या
ऑक्ज़िलियरी मेमोरी भी कहा जाता है। सेकेंडरी मेमोरी का उपयोग उन डेटा और फाइलों
को स्टोर करने के लिए किया जाता है जिन्हें लंबे समय तक संरक्षित रखा जाना है,
जैसे कि दस्तावेज़, फोटो, वीडियो, सॉफ्टवेयर आदि।
सेकेंडरी मेमोरी के मुख्य
पहलू:
1.
स्थायी संग्रहण (Permanent Storage):
o
सेकेंडरी मेमोरी डेटा और जानकारी को स्थायी रूप
से स्टोर करती है। कंप्यूटर बंद होने पर भी इसमें संग्रहित डेटा सुरक्षित रहता है।
2.
बड़ी भंडारण क्षमता (Large Storage
Capacity):
o
सेकेंडरी मेमोरी की स्टोरेज क्षमता बहुत अधिक
होती है, जिससे बड़ी मात्रा में डेटा स्टोर किया जा सकता है।
3.
धीमी गति (Slower Speed):
o
प्राइमरी मेमोरी की तुलना में सेकेंडरी मेमोरी
डेटा को पढ़ने और लिखने में धीमी होती है।
हार्ड डिस्क ड्राइव (HDD):
- यह
कंप्यूटर के अंदर पाया जाने वाला एक प्रमुख स्टोरेज डिवाइस है।
- इसमें
घूमने वाली डिस्क होती है जिसमें डेटा स्टोर होता है।
- यह
बड़े पैमाने पर डेटा स्टोर कर सकता है और सस्ता होता है।
सॉलिड स्टेट ड्राइव (SSD):
o
यह एक नई तकनीक है जो HDD की
तुलना में तेज़ और अधिक विश्वसनीय है।
o
इसमें कोई घूमने वाली डिस्क नहीं होती, बल्कि डेटा
को चिप्स में स्टोर किया जाता है।
o
यह तेजी से डेटा पढ़ता और लिखता है, लेकिन
थोड़ा महंगा होता है।
यूएसबी फ्लैश ड्राइव:
o
यह एक पोर्टेबल स्टोरेज डिवाइस है जिसे पेन
ड्राइव या थम्ब ड्राइव भी कहते हैं।
o
यह छोटे आकार का होता है और आसानी से जेब में ले
जाया जा सकता है।
o
इसका उपयोग डेटा ट्रांसफर और बैकअप के लिए किया
जाता है।
सॉफ़्टवेयर क्या है?
सॉफ़्टवेयर
एक प्रकार का प्रोग्राम है जो कंप्यूटर और उसके उपकरणों को चलाने के लिए बनाया
जाता है। यह उपकरणों को बताता है कि क्या करना है और कैसे करना है। उदाहरण के लिए, एक सॉफ़्टवेयर का उपयोग
एक खिड़की को खोलने के लिए, फ़ाइलें संपादित करने के लिए,
इंटरनेट पर सर्च करने के लिए, और खेल खेलने के
लिए किया जा सकता है।
सॉफ़्टवेयर के प्रकार:
सिस्टम
सॉफ्टवेयर (System Software):
सिस्टम
सॉफ्टवेयर वह सॉफ्टवेयर है जो कंप्यूटर को चलाने और उसके हार्डवेयर को सही तरीके
से काम करने में मदद करता है। यह कंप्यूटर के बुनियादी कार्यों को नियंत्रित करता
है और अन्य सॉफ्टवेयर प्रोग्राम्स के लिए एक मंच प्रदान करता है।
एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर
(Application
Software): इसमें
वे सभी ऐप्लिकेशन और प्रोग्राम शामिल होते हैं जो उपयोगकर्ताओं के विशेष कार्यों
को पूरा करने में मदद करते हैं, जैसे कि वर्ड प्रोसेसिंग,
डेटाबेस प्रबंधन, और गेमिंग।
डेवलपमेंट सॉफ़्टवेयर
(Development
Software): डेवलपमेंट
सॉफ्टवेयर वह सॉफ्टवेयर है जो प्रोग्रामर और डेवलपर्स द्वारा नए सॉफ्टवेयर, ऐप्लिकेशन,
और प्रोग्राम बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह सॉफ्टवेयर
डेवलपमेंट के विभिन्न चरणों को आसान और कुशल बनाने में मदद करता है।
एप्प्लिकेशन इंटरफेस
सॉफ़्टवेयर (Application
Interface Software): यह
उपकरण और प्रोग्राम होते हैं जो अन्य सॉफ़्टवेयर को एक साथ काम करने में मदद करते
हैं, जैसे कि एपीआई (APIs)
हार्डवेयर क्या है?
हार्डवेयर (Hardware) कंप्यूटर का वह
हिस्सा होता है जिसे हम छू सकते हैं और देख सकते हैं। यह कंप्यूटर के भौतिक घटक
होते हैं, जो मिलकर कंप्यूटर को कार्य करने में सक्षम बनाते
हैं। आइए इसे सरल भाषा में समझते हैं:
कंप्यूटर हार्डवेयर
के कुछ उदाहरण:
1.
मदरबोर्ड: कंप्यूटर का मुख्य सर्किट बोर्ड।
2.
सीपीयू (CPU):
कंप्यूटर का मस्तिष्क, गणनाएँ करता है।
3.
रैम (RAM):
अस्थायी मेमोरी, चल रहे प्रोग्राम को स्टोर
करती है।
4.
स्टोरेज डिवाइस: डेटा को स्थायी रूप से स्टोर करते हैं,
जैसे HDD, SSD।
5.
इनपुट डिवाइस: डेटा को कंप्यूटर में दर्ज करते हैं, जैसे कीबोर्ड, माउस।
6.
आउटपुट डिवाइस: कंप्यूटर का परिणाम दिखाते हैं, जैसे मॉनिटर, प्रिंटर।
हार्डवेयर डिज़ाइन के आधार पर कंप्यूटर
के प्रकार
एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer):
एनालॉग कंप्यूटर एक तरह का कंप्यूटर
होता है जो डेटा को वास्तविक मात्राओं के रूप में प्रसंस्करण करता है। यह
संख्याओं की बजाय वॉल्यूओं के माध्यम से काम करता है। इसका उपयोग वैज्ञानिक और
इंजीनियरिंग क्षेत्रों में समस्याओं के समाधान, संशोधन और
प्रायोगिकी में किया जाता है, जहां वास्तविक वॉल्यूओं का
उपयोग होता है। जैसे
कि वातावरणीय पैमाने, ध्वनि,
तापमान, विद्युत धारा आदि। यह तकनीकी
प्रोजेक्ट्स में उपयोग किया जाता है
डिजिटल कंप्यूटर (Digital Computer):
o
डिजिटल कंप्यूटर अंकों या डिजिट्स के रूप में डेटा को प्रोसेस
करते हैं।
o
ये कंप्यूटर बाइनरी डिजिट्स (0 और 1) का उपयोग करते
हैं, जो डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स में बदले जाते हैं।
हाइब्रिड कंप्यूटर (Hybrid Computer):
o
हाइब्रिड कंप्यूटर एनालॉग और डिजिटल कंप्यूटर के गुणों को
सम्मिलित करते हैं।
o
इनका उपयोग विभिन्न कार्यों में किया जाता है, जैसे कि न्यूमेरिकल
डेटा को अनालॉग प्रोसेस करना या अनुकूलन के लिए अनालॉग डेटा को डिजिटल डेटा में
परिवर्तित करना।
ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?
एक
प्रकार का सॉफ़्टवेयर है जो कंप्यूटर के हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर को कार्यान्वित
करने में मदद करता है। यह कंप्यूटर को ऑन करने, ऐप्लिकेशन्स को चलाने,
फ़ाइलें संग्रहित करने, सुरक्षित रूप से काम
करने, और अन्य कार्यों को संचालित करने में सहायक होता है।
इसे संक्षेप में "कंप्यूटर का मास्टर कंट्रोल प्रोग्राम" कहा जा सकता
है।
ऑपरेटिंग
सिस्टम के कार्य
1.
हार्डवेयर के प्रबंधन: यह ऑपरेटिंग सिस्टम हार्डवेयर को प्रबंधित
करता है, जैसे कि प्रोसेसर, मेमोरी,
डिस्क, और अन्य उपकरण।
2.
ऐप्लिकेशन्स का प्रबंधन: यह ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोगकर्ता के लिए एप्लिकेशन्स
का प्रबंधन करता है, जैसे कि वर्ड प्रोसेसिंग, वेब ब्राउज़िंग, गेमिंग, आदि।
3.
फ़ाइल सिस्टम का प्रबंधन: यह ऑपरेटिंग सिस्टम डेटा को संग्रहित करने और
प्रबंधित करने के लिए एक फ़ाइल सिस्टम का प्रबंधन करता है।
4.
सुरक्षा और अनुरक्षण: यह सुरक्षा और अनुरक्षण के लिए आवश्यक नियमों
और प्रोसेसेस का प्रबंधन करता है, जिससे कि केवल अधिकृत
उपयोगकर्ता ही उपकरणों और डेटा तक पहुंच सकते हैं।
5.
उपयोगकर्ता संचालन: यह ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोगकर्ता के द्वारा
कंप्यूटर पर इंटरैक्ट करने के तरीकों को प्रबंधित करता है, जैसे
कि GUI (ग्राफिकल उपयोगकर्ता इंटरफेस) और CLI (कमांड लाइन इंटरफेस)।
कुछ महत्वपूर्ण ऑपरेटिंग
सिस्टम निम्नलिखित हैं:
1. Microsoft Windows: यह एक लोकप्रिय ऑपरेटिंग
सिस्टम है जो डेस्कटॉप और लैपटॉप कंप्यूटर्स पर व्यापक रूप से प्रयुक्त होता है।
2. macOS: यह Apple Inc. द्वारा डेवलप किया गया ऑपरेटिंग सिस्टम है जो Mac कंप्यूटर्स
पर उपयोग किया जाता है।
3. Linux: यह एक मुक्त और
ओपन-सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है जो विभिन्न विधाओं में उपलब्ध है, जैसे कि Ubuntu, Fedora, Debian, और Red Hat।
4. Android: यह Google द्वारा डेवलप किया गया ऑपरेटिंग सिस्टम है जो स्मार्टफोन्स, टैबलेट्स, स्मार्ट टीवी, और
अन्य पोर्टेबल डिवाइसेज़ पर चलता है।
5. iOS: यह Apple Inc. के स्मार्टफोन्स और टैबलेट्स के लिए डिज़ाइन किया गया ऑपरेटिंग सिस्टम है |